दोस्तों यह कहानी है 19 साल की एक लड़की मुमताज खान की

जिसका बचपन से ही एक सपना था कि वह एक हॉकी प्लेयर बने

लेकिन उसका यह सपना उसके परिवार की हैसियत के हिसाब से बहुत बड़ा था क्योंकि उसके पिता एक रिक्शा चालक थे 

और मुमताज की मां सब्जी की रेडी लगाया करती थी

लेकिन फिर भी मुमताज ने अपने सपने को टूटने नहीं दिया और खुद से ही कड़ी मेहनत करना शुरू कर दिया

और कहते हैं ना जो मेहनत करता है किस्मत भी उसी का साथ देती है और ऐसा ही हुआ मुमताज के साथ

जब वहाँ के लोकल हॉकी कोच ने मुमताज के जज़ज्बे को देखते हुए उसकी मदद की उन्होंने मुमताज़ को हॉकी कीट दिलाई 

ताकि मुमताज सही से प्रैक्टिस कर सके और मुमताज ने भी किस्मत से मिले इस मौके को हाथ से जाने नहीं दिया

और मुमताज ने अपनी जी तोड़ मेहनत के दम पर भारतीय महिला हॉकी टीम में अपनी जगह बनाई

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