पौराणिक ग्रंथों के अनुसार प्रथम युग के रूप में सतयुग का आरंभ गुड़ी पाड़वा के दिन ही हुआ था.

गुड़ी पड़वा को महाराष्ट्र में नववर्ष की शुरुआत के रूप में मनाते हैं. इस दिन किसान नई फसलों की पूजा करते हैं.

मान्यता है कि चैत्र शुक्लपक्ष की प्रतिपदा के दिन भगवान राम ने बालि का वध कर दक्षिण भारत के लोगों को उसकी प्रताड़ना से हमेशा के लिए मुक्ति दिलायी थी, इसलिए महाराष्ट्र गुड़ी लटकाई जाती है.

हिंदू धर्म के अनुसार इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने भगवान विष्णु एवं मां भगवती के निर्देश पर सृष्टि का निर्माण किया था. 

गुड़ी पड़वा पर्व की शुरुआत छत्रपति शिवाजी जी ने औरंगजेब की सेना को हराने के बाद गुड़ी पड़वा का पर्व पहली बार मनाया था 

 हिंदू धर्मानुसार यह दिन अत्यंत शुभ एवं मंगलकारी होता है. इस दिन लोग सोना, चांदी, वाहन अथवा घर जैसी बड़ी वस्तुएं खरीदी जाती हैं, इसे शुभता का प्रतीक माना जाता है

 देश के विभिन्न प्रदेशों में कश्मीर से कन्याकुमारी तक गुड़ी पड़वा को उगादी, छेती चांद इत्यादि नामों से मनाया जाता है. मणिपुर में इस दिन को स्थानीय परंपरानुसार मनाया जाता है.

महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने इसी दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, महीना और वर्ष की गणना करके पंचांग की रचना की थी

इस पर्व विशेष पर भारत के अधिकांश लोग नयी-नयी आयी नीम की पत्तियां खाते हैं, नीम की पत्तियां खाने से रक्त स्वच्छ होता है, जिसकी वजह से ह्रदय, किडनी एवं लीवर सुचारु रूप से कार्य करता है.

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