ये कहानी है एक ऐसे इंसान की जो काम की तलाश में तमिलनाडू से अपने दोस्त के साथ मुंबई के बांद्रा स्टेशन तक पहुंच गया 

लेकिन उसकी किस्मत दिखिए उसके दोस्त ने उसको वही पे छोड़ कर भाग गया 

उसको ना तो हिंदी आती थी और ना ही मराठी एक अन्य तमिलियन ने उसे वापस जाने की जगह दी

लेकिन उसने वापस जाने से साफ मना कर दिया और उसने मुंबई में ही रहकर काम करने का फैसला किया

शुरुआत में उसने रेस्टोरेंट में बर्तन साफ करने का काम शुरू किया लेकिन उसके बाद उसने एक शख्स के साथ मिलकर चाय के ठेले की शुरुआत की 

और जहां से उसे धोखा मिला वहीं से उसने एक साउथ इंडियन फूड स्टॉल की शुरुआत कर दी

और मात्र 5 साल के अंदर ही उसने इस डोसा बिजनेस को आकाश की बुलंदियों पर पहुंचा दिया

तब उसने इसका नाम डोसा प्लाजा रखा और देखते ही देखते उसके मैन्यू में 108 तरह के डोसा सर्व किये जाने लगे 

आज डोसा प्लाजा के पूरे देश में 72 आउटलेट्स है जिनका सालाना कारोबार 30 करोड़ों से भी अधिक है

दोस्तों इस डोसा प्लाजा के मालिक कोई और नहीं प्रेम गणपति जी हैं जिन्हें लोग प्यार से डोसा वाला भी कहते हैं

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