पिछले 5 कारोबारी वर्षो में देश के बैंकों ने करीब 10 लाख करोड़ रूपये के लोन को बट्टे खाते में डाल दिया है यानि की राइट ऑफ कर दिया है 

ये जानकारी वित्त राज्य मंत्री भागवत K कराट ने राज्य सभा में दी है उन्होंने बताया कि पिछले 4 सालों में जान बुझकर कर्ज न चुकाने वालों की संख्या 10 हज़ार से ज्यादा रही है  

मंत्री ने राज्यसभा में 25 सबसे बड़े डिफाल्टरओं की सूची भी जारी की जिसमें सबसे ज्यादा मेहुल चोकसी की कंपनी गीतांजलि जेम्स जिस पर 7110 करोड रुपए का बकाया कर्ज है

इसके बाद एरा इंफ़्रा इंजीनरिंग नाम की कंपनी पर बैंकों का 5879 करोड़ बकाय है, कॉनकास्ट स्टील एंड पावर पर 4107 करोड़ रूपये बकाया है 

REI एग्रो नामक कंपनी पर बैंकों का 3984 करोड़ रूपये और ABG शिपयार्ड कंपनी पर 3708 करोड़ रूपये का क़र्ज़ है 

फ्रॉस्ट इंटरनेशनल और Winsome Diamond-Jewellery नामक कंपनियों पर क्रमसः 3108 और 2671 करोड़ रूपये का क़र्ज़ है 

रोटोमैक ग्लोबल नामक कंपनी पर 2481 करोड़ रुपए और कोस्टल प्रोजेक्ट नामक कंपनी पर 2311 करोड रुपए का कर्ज है

वहीं पर कुड़ोस केमी नामक कंपनी पर बैंकों का 2082 करोड़ रुपए का कर्ज बकाया है

4 साल पुराने NPA को बैंक राइट ऑफ करके बैलेंस शीट से हटा देते हैं इसका मकसद बैंक की बैलेंस शीट को दुरुस्त करना होता है हालांकि उसकी रिकवरी जारी रहती है 

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