वित्त आयोग (finance commission)
Finance Commission Image Source:- theQuint |
आज हम भारतीय संविधान के एक अर्द्ध-न्यायिक निकाय वित्त आयोग Finance Commission के बारे में बात करें, कि वित्त आयोग क्या होता है?, वित्त आयोग किस प्रकार कार्य करता है?, वित्त आयोग का अध्यक्ष कौन होता है? इन सभी बातों की जानकारी आज मैं इस लेख में आपको देने वाला हूँ। तो चलिए शुरू करते हैं।
भारतीय संविधान के भाग 7 तथा अनुच्छेद 280 के अंतर्गत अर्ध- न्यायिक निकाय जिसे वित्त आयोग के रूप में जाना जाता है, की व्यवस्था की गई है। वित्त आयोग Finance Commission का गठन राष्ट्रपति द्वारा हर पांचवी वर्ष आवश्यकता के अनुसार किया जाता है।
वित्त आयोग की संरचना (Finance Commission Structure)
वित्त आयोग Finance Commission में एक अध्यक्ष और चार सदस्यों का प्रावधान भारतीय संविधान में किया गया है। इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। और इनका कार्यकाल भी राष्ट्रपति के आदेश के तहत तय किया जाता है। उनकी नियुक्ति फिर से की जा सकती है।
भारतीय संविधान ने संसद को इन सदस्यों की योग्यता और इनके चयन विधि का निर्धारण करने का अधिकार दिया है। और इसी अधिकार के तहत संसद ने आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों की विशेष योग्यता का निर्धारण किया है। अध्यक्ष सार्वजनिक मामलों का अनुभव होना चाहिए स्वीडन और बाकी के चार सदस्यों को निम्नलिखित आधार पर चुना जाना चाहिए;
1- वह व्यक्ति किसी उच्च न्यायालय का न्यायाधीश या इस पद के लिए योग्य व्यक्ति हो।
2- ऐसा कोई व्यक्ति जिसे भारत की लेखा एवं वित्त मामलों का विशेष ज्ञान होना चाहिए।
3- ऐसा कोई व्यक्ति जिसे प्रशासन और वित्तीय संबंधित मामलों का व्यापक अनुभव और ज्ञान हो।
4- और ऐसा व्यक्ति जो अर्थशास्त्र का विशेष ज्ञान रखता हो।
वित्त आयोग का कार्य Functions of the Finance Commission
वित्त आयोग Finance Commission भारत के राष्ट्रपति को निम्नलिखित मामलों पर सिफारिश करने का अधिकार रखता है;
1- संघ और राज्यों के बीच करों के शुद्ध आयामों( कर कहाँ से आता है) का विवरण और राज्यों के बीच ऐसे आगमों (राज्यों को करों में हिस्सा देना) आवंटन।
2- भारत सरकार की संचित निधि में से प्रत्येक राज्य के राजस्व में सहायता अनुदान को शासित करने वाला सिद्धांत प्रतिपादित करना।
3- राज्य वित्त आयोग State finance commission के द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर राज्य में नगर पालिकाओं और पंचायतों के संसाधनों की अनुभूति के लिए राज्य की संचित निधि के समर्थन के लिए आवश्यक उपाय करना।
4- भारतीय राष्ट्रपति द्वारा आयोग को निर्दिष्ट कोई अन्य विषय।
भारत में 1960 तक वित्त आयोग असम, बिहार, ओडिशा एवं पश्चिम बंगाल को प्रत्येक वर्ष जूट और जूट उत्पादों के निर्यात शुल्क में निवल प्राप्तियों के एवज में दी जाने वाली सहायता राशि के बारे में भी सुझाव देता था। संविधान के अनुसार, यह सहायता राशि दस वर्ष की अस्थायी समय तक के लिए दी जाती थी।
वित्त आयोग finance commission अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपा है, जो इस रिपोर्ट को संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखता है। रिपोर्ट के साथ उसका आकलन संबंधी ज्ञापन एवं इस संबंध में क्या कदम उठाए गए और क्या कदम उठाए जाएंगे इसका विवरण भी दिया रहता है।
वित्त आयोग की सलाहकारी भूमिका Advisory role of Finance Commission
यह स्पष्ट करना आवश्यक हुआ कि वित्त आयोग की सिफारिशों की प्रकृति सलाहकार ई होती है और इन को मारने के लिए सरकार बाध्य नहीं होती हैं। यह केंद्र सरकार पर निर्भर करता है कि वह राज्य सरकारों को दी गई जाने वाली प्रमुख सहायता के संबंध में आयोग की सिफारिशों को लागू करें अथवा उन्हें नकार दें।
दूसरे शब्दों में कहें तो, ” संविधान में यह भी नहीं बताया गया है कि आयोग की सिफारिशों के प्रति भारत सरकार बाध्य होगी और आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर राज्यों द्वारा प्राप्त धन को लाभकारी मामले में लगाने का उसे विधिक अधिकार होगा।”
इस संबंध में डॉक्टर डी. वी. राजामन्ना चौथे ऐसे वित्त आयोग के अध्यक्ष finance commission chairman थे जिन्होंने यह कहा था कि, ” क्योंकि वित्त आयोग एक संवैधानिक निकाय है जो अर्ध न्यायिक कार्य करता है तथा उसकी सलाह को भारत सरकार तब तक मानने के लिए बाद नहीं होती है जब तक कि कोई बाध्यकारी कारण न हो।”
भारत के संविधान में इस बात की परिकल्पना की गई है कि वित्त आयोग finance commission भारत में राज्य कोशिश संघवाद के संतुलन की भूमिका निभाएगा। यद्यपि 2014 तक, पूर्व वित्त योजना आयोग, गैर संवैधानिक और गैर सांविधिक निकाय की प्रादुर्भाव के साथ केंद्र राज्य वित्तीय राज्य वित्त आयोग State finance commission संबंधों में इसकी भूमिका में कमी आई है। चौथे वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ पी वी राजमन्ना ने संघीय राजकोषीय अंतरण में पूर्ववर्ती योजना आयोग एवं वित्त आयोग finance commission के बीच कार्यों एवं उत्तरदायित्व की अति व्यक्ति को बताया है। 2015 में योजना आयोग के स्थान पर एक नई संस्था बनाई गई नीति आयोग नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया।
अब तक कुल 15 वित्त आयोग 15th finance commission का गठन किया जा चुका है आईये हम अब तक के सभी वित्त आयोग तथा उनके अध्यक्षों की पूरी सूची देखते हैं;
1- के. सी. नियोगी 1951
2- के. स्थानमा 1956
3- ए. के चंदा 1960
4- डॉ. पी. वी. राजमन्नार 1964
5- महावीर त्यागी 1968
6- ब्रह्मानंद रेड्डी 1972
7- जे. एम. सेलात 1977
8- वाई. बी. चह्वाण 1982
9- एन. के.पी. साल्वे 1987
10- के. सी. पंत 1992
11- ए. एम. खुसरो 1998
12- डॉ. सी. रंगराजन 2002
13- डॉ. विजय केलकर 2007
14- वाई. वी. रेड्डी 2013
15-एन. के. सिंह 15 वें वित्त आयोग 15th finance commission के अध्यक्ष हैं जिनका कार्य 2017 से 2025 तक इनका कार्यकाल रहेगा।