कुंडली मिलान के लिए गोत्र अवश्य ही देखा जाता है
यूं तो गोत्र सभी जाति के लोगों का देखा जाता है किंतु ब्राह्मण परिवारों में इसका बहुत अधिक महत्व है
पुराणों और स्मृति ग्रंथों के अनुसार यदि कोई कन्या और वर एक ही गोत्र के हों तो
उन्हें विवाह करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है
महर्षि विश्वामित्र, जनदग्नि, भारद्वाज, गौतम, अत्रि, वशिष्ठ, कश्यप इन सप्तऋषियों और आठवें ऋषि अगस्ति की संतान गोत्र कहलाती हैं
जिस व्यक्ति का गोत्र भरद्वाज है उसके पूर्वज ऋषि भारद्वाज और वह व्यक्ति इन ऋषि का वंशज है
ऐसी मान्यता है कि एक समान गोत्र वाले वर और वधू की शादी नहीं हो सकती है
सामान्यतः आठ ऋषियों के नाम पर मूल आठ गोत्र माने जाते हैं
महाभारत के शांतिपर्व में मूल चार गोत्र बताए गए हैं जो अंगिरा, कश्यप, वशिष्ठ और भृंगु हैं
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