What is the fundamental Rights in Hindi (मूल अधिकार क्या होते हैं हिंदी में)
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आज हम जानेंगे कि मूल अधिकार (what is the meaning of fundamental rights in hindi) का हमारे संविधान में क्या मतलब होता है।मूल अधिकार(fundamental Rights in Hindi) वे आधारभूत अधिकार है, जो किसी स्वतंत्र देश के नागरिकों के सामाजिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं। मूल अधिकारों (fundamental rights) के सहारे मनुष्य की उन शक्तियों का विकास होता है जो उसे प्रकृति से प्राप्त हुई है, और तब इन शक्तियों के विकास होने पर वह अपना विकास समाज में करने में समर्थ होता है। इसलिए मूल अधिकारों ( fundamental rights) को नागरिकों का पवित्र अधिकार कहा जाता है।
यह मूल अधिकार अमेरिका के संविधान से भारतीय संविधान (fundamental rights in the Constitution) में शामिल किए गए हैं। और उनकी गारंटी की गई है। गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य 1967 सुप्रीम कोर्ट के मामले में न्यायालय ने मूल अधिकारोंं को प्राकृतिक Natural Rights एवं अनिवार्य अधिकार माना।
Status of Fundamental Rights in Indian Constitution
(भारतीय संविधान में मूल अधिकारों की स्थिति)
संविधान के भाग 3 को ‘भारत का मैग्नाकार्टा’ की संज्ञा दी गई है, और इसमें मूूल अधिकारों की एक लम्बी सूची का उल्लेख किया गया है (List of fundamental rights in hindi). संविधान द्वारा बिना किसी भेदभाव के हर व्यक्ति के लिए मूल अधिकारों के संबंध में गारंटी दी गई है। इन मूल अधिकारोंं में प्रत्येक व्यक्ति के लिए समानता, सम्मान, राष्ट्रहित, और राष्ट्रीय एकता को समाहित किया गया है।
मूल अधिकारों का मुख्य उद्देश्य हर राजनीतिक लोकतंत्र के आदर्शों की उन्नति है। यह अधिकार देश में व्यवस्था बनाए रखने एवं राज्य की कठोर नियमों के खिलाफ नागरिकों की आजादी की सुरक्षा करते हैं।
इनके प्रावधानों का उद्देश्य कानून की सरकार बनाना है ना कि व्यक्तियों की।
मूल अधिकारों का यह नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि इन्हें संविधान द्वारा गारंटी एवं सुरक्षा प्रदान की गई है, जो राष्ट्र कानून का मूल सिद्धांत है। ये ‘मूल’ इसलिए भी हैं क्योंकि ये व्यक्ति के चहुंमुखी विकास के लिए आवश्यक है। हमारे संविधान में कुल कितने मूल अधिकार दिये गये हैं,(what is the meaning of fundamental rights in hindi) आईये हम विस्तार से जानते हैं।
what are the 7 fundamental rights of india in hindi (7 मूल अधिकारों की सूची)
1- समता का अधिकार (Right to equality)
अनुच्छेद 14 (Article 14)
भारत राज्य के क्षेत्र में किसी व्यक्ति को विधि के समक्ष क्षमता से या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा।
अनुच्छेद 15 ( Article 15)
धर्म, मूल, वंश, जाति, लिंग, जन्म-स्थान के आधार पर विभेद का निषेध किया गया है।
अनुच्छेद 16 (Article 16)
अलसर की समानता लोक सेवाओं में अवसर की समानता का मूल अधिकार (fundamental rights Hindi) केवल नागरिकों के लिए अनुबंधित करता है।
अनुच्छेद 17 (Article 17)
अस्पृश्यता का अंत करके, किसी भी रुप में आचरण को निश्चित और अस्पृश्यता से उत्पन्न किसी निर्योग्यता को लागू करने को विधि द्वारा दंडनीय अपराध घोषित करता है।
अनुच्छेद 18 ( Article 18)
इसके तहत सेना या विद्या संबंधी उपाधियों के अलावा सभी प्रकार की उपाधियों का अंत किया जाता है।
2- स्वतंत्रता का अधिकार ( Right to freedom)
अनुच्छेद 19 ( Article 19)
प्रत्येक नागरिक को अभिव्यक्ति दर्शाने, मतदेने, विश्वास एवं अभियोग लगाने की मौलिक, लिखित, छपे हुए मामलों पर स्वतंत्रता देता है। लेकिन राज्य इन अधिकारों पर छह प्रकार से निरबंधन भी लगा सकता है।
अनुच्छेद 20 ( Article 20)
किसी भी अभियुक्त या दोषी करार किए गए व्यक्ति चाहे वह नागरिक हो, या विदेशी या कंपनी कोई भी हो उसके विरुद्ध मनमाने और अतिरिक्त दंड से संरक्षण प्रदान किया जाएगा।
अनुच्छेद 21 ( Article 21)
किसी व्यक्ति को उसके प्राण या दैहिक स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही वंचित किया जा सकेगा अथवा नहीं।
अनुच्छेद 22 (Article 22)
किसी व्यक्ति को गिरफ्तारी एवं निरोध से संरक्षण प्रदान किया जाएगा।
3- शोषण के विरुद्ध अधिकार (Right against exploitation
अनुच्छेद 23 ( Article 23)
मानव देह व्यापार, बलात श्रम और इसी प्रकार के अन्य बल आश्रम के प्रकारों पर भी प्रतिबंध लगाता है।
अनुच्छेद 24 (Article 24)
किसी फैक्ट्री, खान अथवा अन्य संकट में गतिविधियों तथा निर्माण कार्य अथवा रेलवे में 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कार्य करने पर प्रतिषेध है।
4- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार ( Right to religion)
अनुच्छेद 25 (Article 25)
सभी व्यक्तियों को अंतः करण की स्वतंत्रता का और धर्म के अवैध रूप से माननीय आचरण करने और प्रचार करने का समान हक होगा।
अनुच्छेद 26 (Article 26)
ये अधिकार (fundamental righits in Hindi) प्रत्येक धार्मिक संप्रदाय या उसके किसी अनुभाग को संस्थाओं की स्थापना और पोषण का अधिकार होगा।
अनुच्छेद 27 (Article 27)
किसी भी व्यक्ति को किसी विशिष्ट धर्म या धार्मिक संप्रदाय की अभिवृद्धि या पोषण में व्यक्त करने के लिए करों के सन्ना हेतु बाद नहीं किया जाएगा।
अनुच्छेद 28 (Article 28)
राज्यनिधि पूर्णतः पोषित किसी शिक्षा संस्थान में कोई धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाएगी, हालांकि यह व्यवस्था उन संस्थाओं में लागू नहीं होती जिन का प्रशासन राज्य न कर रहा हो।
5- संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार ( Culture And Education Rights)
अनुच्छेद 29 (Article 29)
भारत के किसी भी भाग में रहने वाले नागरिकों को किसी भी अनुभव को उसकी अपनी बोली, भाषा, लिपि, संस्कृति को सुरक्षित रखने का अधिकार है अर्थात अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण।
अनुच्छेद 30 (Article 30)
शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों को अधिकार दिया जाएगा।
6- सम्पत्ति का अधिकार (Right to Property)
अनुच्छेद 31 (Article 31) संपत्ति के अधिकार को 44 वें संविधान संशोधन 1978 द्वारा मूल अधिकारों की सूची से हटा दिया गया, इसे संविधान के भाग 12 में अनुच्छेद 300-क के तहत कानूनी अधिकार बना दिया गया।
7- संवैधानिक उपचारों का अधिकार (constitutional remedies)
अनुच्छेद 32 ( Article 32)
सभी मूल अधिकारों (fundamental rights) की सुरक्षा के लिए छह प्रकार के रिटों की व्यवस्था की गई है, बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, उत्प्रेषण, अधिकार पृच्छा।
अनुच्छेद 33 (Article 33)
सशस्त्र बलों, अर्धसैनिक बलों पुलिस बलों, खुफिया एजेंसियों एवं अन्य की मूल अधिकारों पर युक्तियुक्त प्रतिबंध लगा सके।
अनुच्छेद 34 (Article 34)
यह मूल अधिकारों (fundamental rights in Hindi) पर प्रतिबंध लगाता है जब भारत में कहीं भी मार्शल लॉ लागू हो।
अनुच्छेद 35 (Article 35)
केवल संसद को कुछ विशेष मूल अधिकारों (fundamental rights) को प्रभावी बनाने के लिए कानून बनाने की शक्ति प्रदान करता है।
Qualifications of fundamental rights मूल अधिकारों की विशेषताएं
भारतीय संविधान में मूल अधिकारों (fundamental rights)
की निम्नलिखित विशेषताएं बाताई गई हैं-
1- इनमें से कुछ नागरिकों को के लिए उपलब्ध हैं, जबकि कुछ अन्य सभी व्यक्तियों के लिए उपलब्ध हैं चाहे वे नागरिक, विदेशी लोग या कानूनी व्यक्ति, जैसे-परिषद् एवं कंपनियां।
2- यह अधिकार असीमित नहीं है, राज्य इन अधिकारों पर युक्तियुक्त प्रतिबंध भी लगा सकता है। हालांकि यह कारण उचित है या नहीं इसका निर्णय अदालत करती हैं।
3- यह अधिकार सभी सरकार की एकपक्षीय निर्णय के विरुद्ध उपलब्ध हैं। हालांकि कुछ निजी व्यक्तियों के खिलाफ भी उपलब्ध हैं।
4- इनमें से कुछ अधिकार (fundamental rights) नकारात्मक विशेषताएं वाले हैं, जैसे- राज्य के अधिकार को सीमित करने से संबंधित; जबकि कुछ सकारात्मक भी हैं जैसे व्यक्तियों के लिए विशेष सुविधाओं का प्रावधान है।
5- यह अधिकार न्याय उचित है। यह व्यक्तियों को अदालत जाने की अनुमति देते हैं जब भी इनका उल्लंघन होता है तब।
6- इन्हें उच्चतम न्यायालय द्वारा गारंटी प्रदान की गई है हालांकि पीड़ित व्यक्ति सीधे उच्चतम न्यायालय जा सकता है यह आवश्यक नहीं है कि केवल उच्च न्यायालय के खिलाफ ही वहां अपील को लेकर जाया जाए।
7- इन अधिकारों का क्रियान्वयन ऐसे इलाकों में रोका जा सकता है जहां फौजी कानून प्रभावी हों।
इसलिए हम कह सकते हैं कि मूल अधिकार (Fundamental Rights In Hindi ) किसी भी नागरिक के जीवन में बहुक ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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