संघ लोक सेवा आयोग हिंदी में (Union Public Service Commission in Hindi)
संघ लोक सेवा आयोग UPSC, भारत का एक केंद्रीय भर्ती संस्थान है। यह एक स्वतंत्र संविधान निकाय है क्योंकि इसका गठन संविधानिक प्रावधानों के तहत किया गया है। भारतीय संविधान के भाग 14 तथा अनुच्छेद 315 से 323(Article 315 in Hindi) तक संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission) UPSC की स्वतंत्रता तथा उसकी शक्तियां व कार्य के बारे में, इसके अलावा संगठन तथा सदस्यों की नियुक्ति व उनकी बर्खास्तगी इत्यादि के बारे में प्रावधान किया गया है।
Union Public Service Commission in Hindi |
संघ तथा राज्य लोक सेवा आयोग rajya lok seva aayog से संबंधित अनुच्छेद
315- संघ तथा राज्यों के लोक सेवा आयोग rajya lok seva aayog।
316- संघ तथा राज्यों के लिए लोक सेवा आयोग rajya lok seva aayog के सदस्यों की नियुक्ति तथा कार्यकाल।
317- लोक सेवा आयोग के सदस्य की बर्खास्तगी एवं निलंबन।
318- आयोग के सदस्यों एवं कर्मचारियों की सेवा से संबंधी नियम कानून बनाने की शक्ति।
319- आयोग के सदस्यों द्वारा सदस्यता समाप्ति के पश्चात पद पर बने रहने पर रोक।
320- लोक सेवा आयोग के कार्य।
321- लोक सेवा आयोगों की कार्यों को विस्तारित करने की शक्ति।
322- लोक सेवा आयोगों का खर्च।
323- लोक सेवा आयोग के प्रतिवेदन।
संघ लोक सेवा आयोग की संरचना (Union Public Service Commission Structure)
संघ लोक सेवा आयोग UPSC में एक अध्यक्ष Chairman तथा कुछ अन्य सदस्यों का प्रावधान किया गया है, और इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। संविधान में आयोग में कितने सदस्य होंगे इसकी संख्या का उल्लेख नहीं किया गया है। यह राष्ट्रपति के स्वविवेक पर छोड़ा गया है, राष्ट्रपति आयोग की संरचना का निर्धारण करता है। और साधारणतया इसमें अध्यक्ष Chairman समेत 9 से 11 सदस्य होते हैं। इसके अलावा इसमें सदस्यों की योग्यता का भी उल्लेख नहीं किया गया।
आयोग के अध्यक्ष Chairman तथा सदस्य पद ग्रहण करने के बाद से 6 वर्ष की अवधि तक या 65 वर्ष की आयु तक, इनमें से जो भी पहले हो जाए, अपने पद पर रहते हैं। अध्यक्ष Chairmanया सदस्य कभी भी राष्ट्रपति को संबोधित करके अपना त्यागपत्र दे सकते हैं। या उन्हें राष्ट्रपति द्वारा संविधान में वर्णित प्रक्रिया के तहत हटाया जा सकता है।
संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या सदस्यों का निष्कासन (Expulsion of Chairman or members of Union Public Commission)
आयोग के सदस्य या अध्यक्ष Chairman को निम्नलिखित परिस्थितियों में हटाया जा सकता है;
1- उसे दिवालिया घोषित कर दिया जाता है, या
2- पद अवधि के दौरान अपने पद की कर्तव्यों के बाहर किसी से वेतन नियोजन में लगा हो, या
3- राष्ट्रपति अगर यह समझता हो कि वह अध्यक्ष या सदस्यों मानसिक या शारीरिक अक्षमता के कारण पद पर बने रहने योग्य नहीं है।
इसके अलावा आयोग के अध्यक्ष Chairmanया दूसरे सदस्यों को कदाचार के कारण भी हटाया जा सकता है। किंतु ऐसे मामलों की जांच करने के लिए राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय को भेजता है, और अगर उच्चतम न्यायालय में जांच के बाद बर्खास्तगी कपड़ा मार दिया है तो राष्ट्रपति अध्यक्ष या दूसरे सदस्यों को उनके पद से हटा सकता है। संविधान के अनुसार उच्चतम न्यायालय द्वारा दी गई सलाह को मानना राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी होगा। भारतीय संविधान में कदाचार के बारे में निम्न प्रधान है;
1- भारत सरकार या राज्य सरकार की किसी संविदा या करार से संबंधित है।
2- निगमित कंपनी के सदस्य और कंपनी के अन्य सदस्यों के साथ सम्मिलित रूप से संविदा या करार में लाभ के लिए भाग लेता है।
संघ लोक सेवा आयोग की स्वतंत्रता (Freedom of Union Public Serivce Commission)
1- राष्ट्रपति संविधान में वर्णित आधारों पर ही उसे उसके पद से हटा सकता है। इसलिए उन्हें पद अवधि की सुरक्षा प्राप्त है।
2- हालांकि अध्यक्ष या सदस्य की सेवा की शर्तें राष्ट्रपति तय करते हैं, लेकिन नियुक्ति करने के बाद इनमें लाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।
3- इनकी वेतन, भक्ति व पेंशन सहित सभी खर्चे भारत की संचित निधि से दिए जाते हैं।
4- आयोग का अध्यक्ष Chairman कार्यकाल समाप्त होने के बाद भारत सरकार या किसी अन्य राज्य सरकारों के अधीन किसी और नौकरी का पात्र नहीं होगा।
5- संघ लोक सेवा आयोग का सदस्य अपने कार्यकाल के बाद संघ लोक सेवा आयोग UPSC का अध्यक्ष Chairmanया किसी राज्य लोक सेवा आयोग rajya lok seva aayog के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होने का पात्र होगा, लेकिन भारत सरकार किसी राज्य सरकार के अधीन वह नौकरी करने का पात्र नहीं।
6- आयोग के अध्यक्ष Chairmanया सदस्य को कार्यकाल के बाद पुनः नियुक्त किया जा सकता है।
संघ लोक सेवा आयोग का कार्य (Work of Union Public Serivce Commission)
1- अखिल भारतीय सेवाओं, केंद्रीय सेवाओं व केंद्रशासित क्षेत्रों की लोक सेवाओं में नियुक्ति के लिए परीक्षाओं का आयोजन करना।
2- दो या दो से अधिक राज्यों के अनुरोध करने पर किसी ऐसी सेवाओं के लिए जिसके लिए विशेष योग्यता वाले अभ्यर्थी चाहिए होते हैं, उनके लिए संयुक्त भर्ती की योजना व क्रियान्वयन करने में सहायता करता है।
4- यह किसी राज्यपाल के अनुरोध पर राष्ट्रपति की स्वीकृति के उपरांत सभी यकीनी मामलों पर राज्यों को सलाह प्रदान करता है।
इसके अलावा संघ लोक सेवा आयोग UPSC हर वर्ष अपने कामों की रिपोर्ट राष्ट्रपति को देता है। राष्ट्रपति इस रिपोर्ट को जिन मामलों में आयोग की सलाह स्वीकृत नहीं की गई हो, के कारण सहित ज्ञापन को संसद के दोनों सदनों लोक सभा तथा राज्यसभा के समक्ष प्रस्तुत करता है। अस्वीकृति के ऐसे सभी मामलों को संघ कैबिनेट की नियुक्ति समिति द्वारा स्वीकृत कराया जाना चाहिए। किसी स्वतंत्र मंत्रालय या विभाग को संघ लोक सेवा आयोग UPSC की परामर्श को खारिज करने का अधिकार नहीं है।
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संघ लोक सेवा आयोग की सीमाएं (Limitations of Union Public Serivce Commission)
कुछ विषय संघ लोक सेवा आयोग UPSC की कार्यों के अधिकार क्षेत्र के बाहर हैं वे निम्नलिखित हैं;
1- पिछड़ी जाति की नियुक्तियों पर आरक्षण देने के मामले पर।
2- सेवाओं व पदों पर नियुक्ति के लिए अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजातियों के दावों को ध्यान में रखने हेतु।
3- आयोग या प्राधिकरण की अध्यक्षता या सदस्यता उच्च, राजनयिक उच्च पद, ग्रुप सी व डी सेवाओं के अधिकतर पदों के चयन संबंधित मामले।
4- किसी पद के लिए आस्था या स्थानापन्न नियुक्तियां, अगर वह व्यक्ति एक वर्ष से कम के लिए पद धारण करता है।
राष्ट्रपति संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission) के दायरे से किसी पद, सेवा व विषय को हटा सकता है। संविधान के अनुसार राष्ट्रपति अखिल भारतीय सेवा, केंद्र सेवा व पद की संबंध में नियम बना सकता है, जिसके लिए संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) से परामर्श की आवश्यकता नहीं है। परंतु इस तरह के नियमन को राष्ट्रपति को कम से कम 14 दिनों तक के लिए संसद के सदन में रखना होगा। संसद इसे संशोधित या खारिज कर सकती है।