क्या है GNCTD Bill
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GNCTD Bill |
राज्य सभा ने दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) को राज्यसभा में मचे कोहराम के बाद निर्वाचित सरकार को प्रधानता देने वाले बिल GNCTD Bil को मंजूरी प्रदान कर दी है। दिल्ली में लेफ्टिनेंट गवर्नर और मुख्यमंत्री के अधिकारों को अधिक स्पष्ट करने वाले विधेयक को संसद के दोनों सदनों लोकसभा तथा राज्यसभा दोनों ने मंजूरी दे दी है अर्थात यह विधेयक दोनों सदनों में पारित हो गया है। राज्यसभा ने बुधवार को गवर्नमेंट आफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी आफ दिल्ली GNCTD Bil (संशोधन) बिल 2021 को विपक्ष के घोर हंगामे के बीच मंजूरी दे दी।
इस GNCTD Bil को लोकसभा पहले ही मंजूरी दे चुकी है, सोमवार को लोकसभा ने इस NCT Bill को मंजूर कर दिया था। अब केवल राष्ट्रपति के दस्तखत हो जाने के बाद ही यह NCT Bill कानून का रूप धारण कर लेगा। दिल्ली की सरकार आम आदमी पार्टी ने इससे लोकतंत्र का एक काला दिवस कहां है। आखिर इस GNCTD Bil में ऐसा क्या है, जो आम आदमी पार्टी तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस बिल का इतना विरोध कर रहे हैं। चलिए जानते हैं।
दिल्ली में अक्सर मुख्यमंत्री तथा उपराज्यपाल (एलजी) के बीच आये दिन जंग जारी रहती है। और ऐसा अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री बनने के बाद से कुछ ज्यादा ही हो रहा है। यहां तक कि यह मामला 2018 और 2019 में सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एलजी और दिल्ली सरकार को अपनी अपनी भूमिकाओं तथा अधिकारों को स्पष्ट करने का फैसला सुनाया था।
और केंद्र सरकार का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत इस GNCTD Bil को अर्थात गवर्नमेंट आफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी आफ दिल्ली संशोधन विधेयक लाई है। संसद के दोनों सदनों का राज्यसभा तथा लोकसभा मैं यह बिल पहले ही पारित हो चुका है, और इसके तहत उपराज्यपाल का क्षेत्राधिकार कई मामलों में बढ़ जाएगा।
इस GNCTD Bil में यह प्रावधान किया गया है कि राज्य कैबिनेट या राज्य सरकार किसी फैसलों को लागू करने से पहले दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर या उप राज्यपाल से राय लेगी। इसके अलावा विधानसभा के द्वारा बनाया गया कोई भी कानून में सरकार का मतलब यहां के उपराज्यपाल (एलजी) से होगा। कोई भी कानून बनाने से पहले सभी निर्णय, प्रस्ताव और एजेंडों की जानकारी उपराज्यपाल को देनी अनिवार्य होगी। और अगर किसी भी मामले पर उपराज्यपाल तथा सरकार के बीच किसी Bill को लेकर सहमति नहीं बनती है अथवा मतभेद होता है, तो उपराज्यपाल उस मामले को राष्ट्रपति के पास भेज सकता है। इसके अलावा उपराज्यपाल विधानसभा के द्वारा पारित किए गए किसी ऐसे बिल को मंजूरी नहीं देगा जो उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं।
इस NCT Bill के तहत दिल्ली में चुनी गई सरकार के अधिकार को सीमित कर दिया गया है। इस NCT Bill के मुताबिक दिल्ली सरकार या उसकी कोई समिति ऐसा नियम नहीं बनाएगी जो उसके दैनिक अथवा प्रशासन की गतिविधियों पर नजर करने या किसी प्रशासनिक फैसले की जांच करने का अधिकार देता हो। यह विधेयक उन अधिकारियों को बचाएगा जिसे अक्सर विधानसभा या उसकी समितियों की तरफ से एक जगह से दूसरी जगह तलब कर दिया जाता था।
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वैसे भी 2018 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा था कि दिल्ली सरकार कोई भी फैसला लेगी तो उसकी जानकारी उसे उपराज्यपाल (एलजी) को देनी होगी। लेकिन एलजी की रजामंदी की जरूरत नहीं होगी, हालांकि इस बिल के तहत उपराज्यपाल को यह अधिकार होगा कि अगर विधानसभा किसी फैसले से वह हम सहमत नहीं है, तो वह उस मामले को राष्ट्रपति के पास भेज सकता है।
इससे साफ होता है कि GNCTD Bil के कानून बन जाने के बाद दिल्ली के उप राज्यपाल की शक्तियां बढ़ जाएंगी। हालांकि केंद्र सरकार का मानना है कि इस बिल का मुख्य उद्देश्य उपराज्यपाल तो था दिल्ली सरकार के बीच भूमिकाओं और शक्तियों को स्पष्ट करने के लिए लाया गया है ताकि जो अभी गतिरोध होते हैं उन को रोका जा सके। कई विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्र सरकार के इस फैसले से उपराज्यपाल बनाम मुख्यमंत्री के बीच एक नई जंग की शुरुआत होगी।