भारतीय निर्वाचन आयोग (Election Commission of India)
भारतीय संविधान के भाग 7 में संविधान में दिए गए सभी संवैधानिक निकायों के बारे में विस्तार से बताया गया है। और उसी में शामिल है एक महत्वपूर्ण विभाग जिसका नाम है निर्वाचन आयोग (Election Commission)। भारतीय निर्वाचन आयोग Election Commission of India in Hindi एक स्थाई व स्वतंत्र विभाग है। इस निकाय का गठन भारतीय संविधान द्वारा देश के अंदर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव को संपन्न कराने के मकसद से किया था। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के अनुसार संसद, राज्यविधान मंडलों, राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति के पदों का निर्वाचन तथा संचालन, निर्देशन व नियंत्रण की जिम्मेदारी भारतीय चुनाव आयोग (election commission of india ) की है। अतः चुनाव आयोग election commission एक अखिल भारतीय संस्था है, क्योंकि यह केंद्र व राज्य दोनों के लिए एक समान है।
अतः यह बात उल्लेखनीय है कि, राज्य में होने वाले पंचायतों व नगर निगमों का चुनाव election कराने के लिए भारतीय चुनाव आयोग जिम्मेदार नहीं है। इसके लिए भारतीय संविधान में अलग चुनाव आयोग जिसे राज्य चुनाव आयोग rajya nirvachan aayog in hindi कहा जाता है की व्यवस्था की गई है।
भारतीय निर्वाचन आयोग की संरचना (Stracture of Election Commission)
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 में निर्वाचन आयोग bharat nirvachan aayog के संबंध में निम्न उपबंध किए गए हैं-
1- चुनाव आयोग मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों से मिलकर बना होता है।
2- और इन चुनाव आयुक्तों की तथा मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा।
3- जब कोई अन्य चुनाव आयुक्त इस प्रकार नियुक्त किया जाएगा तब मुख्य निर्वाचन आयुक्त निर्वाचन आयोग के अध्यक्ष के रूप में काम करेगा।
4- राष्ट्रपति राज्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति के लिए भारतीय निर्वाचन आयोग bharat nirvachan aayog से सलाह ले सकता है।
5- राज्य निर्वाचन आयुक्त व भारतीय निर्वाचन आयुक्तों की सेवा की शर्तों व उनकी पदावली का निर्धारण भारत का राष्ट्रपति करेगा।
सन 1950 से अक्टूबर 1989 तक निर्वाचन आयोग में केवल 1 सदस्य का प्रावधान था, लेकिन 16 अक्टूबर 1989 को राष्ट्रपति ने आयोग के काम के भार को कम करने के लिए दो अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का प्रावधान किया। इसके बाद आयोग में तीन निर्वाचन आयुक्त हो गए। हालांकि 1990 में पुनः दो निर्वाचन आयुक्तों की पद को समाप्त कर दिया गया, और फिर से एक निर्वाचन आयुक्त के पद का प्रावधान किया गया।
लेकिन अक्टूबर 1993 में फिर से दो निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति का प्रावधान किया गया और इसके बाद से ही निर्वाचन आयोग में कुल 3 आयुक्तों की नियुक्ति का प्रावधान भारतीय संविधान में है। जिसमें एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त व दो अन्य निर्वाचन आयुक्त होते हैं। अन्य निर्वाचन आयुक्त के पास समान शक्ति होती है। तथा इनके वेतन, भत्ते तथा दूसरे अन्य लाभ एक समान होते हैं। जो भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान होते हैं। और ऐसे में अगर मुख्य निर्वाचन आयुक्त व दो अन्य निर्वाचन आयुक्त के बीच कोई मतभेद होता है तो आयोग बहुमत के आधार पर निर्णय करता है।
इनका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है जो भी पहले हो। वह किसी भी समय अपना त्यागपत्र दे सकते हैं या उन्हें कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही हटाया जा सकता है।
निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता (Election Commission Freedom)
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 में निर्वाचन आयोग के स्वतंत्र व निष्पक्ष कार्यप्रणाली के बारे में बताया गया है जो निम्नलिखित है:
1- मुख्य निर्वाचन आयुक्त Chief Election Commission को अपनी निर्धारित पद्मावती में काम करने की सुरक्षा है। निर्वाचन आयोग के मुख्य आयुक्त Chief Election Commission को उसी तरीके से रद से हटाया जा सकता है, जैसे उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाया जाता है। अर्थात दुर्व्यवहार या अक्षमता के आधार पर संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत पारित करने के बाद राष्ट्रपति द्वारा मुख्य निर्वाचन आयुक्त को हटाया जाता है। अतः वह राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद नहीं होता है, हालांकि उसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा ही की जाती है।
2- निर्वाचन आयुक्त Election Commission की सेवा की शर्तों में उनकी नियुक्ति के पश्चात उसके लिए गैर लाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता।
3- अन्य आयुक्तों प्रादेशिक आयुक्तों को मुख्य निर्वाचन आयुक्त Chief Election Commission की सिफारिश के आधार पर हटाया जा सकता है अथवा नहीं।
भारतीय निर्वाचन आयोग Election Commission को स्वतंत्र तथा निष्पक्ष तरीके से कार्य करने के लिए भारतीय संविधान के तहत कुछ दिशा-निर्देश दिए गए हैं, लेकिन में कुछ कमियां हैं:
1- भारतीय संविधान में निर्वाचन आयोग Election Commission के सदस्यों की योग्यता जैसे विधिक, शैक्षणिक, प्रशासनिक या न्यायिक के संबंध में कोई उपबंध नहीं है।
2- संविधान में इस बात का भी उल्लेख नहीं किया गया है कि निर्वाचन आयोग Election Commission of India in Hindi के सदस्यों की पदावली कितनी है।
3- सेवानिवृत्ति के बाद आयुक्तों को सरकार द्वारा अन्य दूसरी नियुक्ति पर रोक नहीं लगाई गई है।
निर्वाचन आयोग की शक्ति और कार्य (Election Commission Power and Functions)
संविधान में निर्वाचन आयोग की शक्तियों व कार्यों Election Commission Power and Functions
को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है:
1- प्रशासनिक।
2- सलाहकारी।
3- अर्ध-न्यायिक।
यह शक्तियां प्रकार इस प्रकार हैं,
1- संसद की परिसीमन आयोग अधिनियम के आधार पर समस्त भारत के निर्वाचन क्षेत्रों के भूभाग का निर्धारण करना।
2- समय-समय पर निर्वाचक-नियमावली को तैयार करना और सभी योग्य मतदाताओं को पंजीकृत करना है।
3- निर्वाचन की तिथि और समय निर्धारित करना एवं नामांकन पत्रों की जांच करना।
4- राजनीतिक पार्टियों को मान्यता प्रदान करना तथा उन्हें निर्वाचन चिन्ह आवंटित करना।
5- निर्वाचन संबंधी विवाद जांच के लिए अधिकारी नियुक्त करना।
6- आचार संहिता निर्मित करना ।
7- नीतियों की प्रचार के लिए टीवी और रेडियो कार्यक्रम शुरू करना।
8- सदस्यों की अयोग्यता संबंधित मामलों पर राष्ट्रपति को सलाह देना।
9- मतदान केंद्र लूटना, हिंसा व अन्य अनियमितताओं के आधार पर निर्वाचन रद्द करना।
10- कर्मचारियों की आवश्यकता के बारे में राष्ट्रपति और राज्यपाल को सूचित करना।
11- निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनावी तंत्र का पर्यवेक्षण करना। election commission of india result
12- राष्ट्रपति को सलाह देना कि राष्ट्रपति शासन वाले राज्य में कितने समय पश्चात निर्वाचन कराया जाए या नहीं।
13- पार्टियों को पंजीकृत करना तथा उन्हें राष्ट्रीय दल का दर्जा देना।
निर्वाचन आयोग Election Commission की सहायता करने के लिए उप निर्वाचन आयुक्त होते हैं जो सिविल सेवा के लिए जाते हैं। इसी प्रकार राज्य स्तर पर राष्ट्रीय निर्वाचन आयोग Election Commission of India की सहायता मुख्य निर्वाचन अधिकारी करते हैं। जिनकी नियुक्ति मुख्य निर्वाचन आयुक्त Chief Election Commission राज्य सरकारों की सलाह पर करता है।
निर्वाचन आयोग की दृष्टि (Vision of the Election Commission)
निर्वाचन आयुक्त श्रेष्ठता का एक संस्थान बनना चाहता है ऐसा भारत तथा विश्व में सक्रिय क्रियाशीलता, भागीदारी तथा चुनावी लोकतंत्र को गहराई और मजबूती प्रदान करने के लिए कर रहा है।
निर्वाचन आयोग का लक्ष्य (Goal of the Election Commission)
भारत का चुनाव आयोग का लक्ष्य Gole of the Election Commission स्वतंत्रता तथा अखंडता को बनाए रखना चाहता है। यह स्वतंत्र, दोषमुक्त तथा पारदर्शी चुनाव को संपन्न कराने के लिए उच्चतम पेशेवर मानदंडों का पालन करता है, ताकि सरकार एवं चुनावी लोकतंत्र में विश्वास मजबूत होता जाए।
निर्वाचन आयोग का सिद्धांत (Election Commission Principles)
1- चुनाव की प्रक्रिया के हित में राजनीतिक दलों तथा स्टेक होल्डर की भागीदारी करवाना।
2- चुनावी प्रक्रिया के सभी क्षेत्रों के सुधार के लिए तकनीकी अपनाना।
3- चुनावी प्रक्रिया के आसान निर्वाचन Election Commission of India in Hindi के लिए श्रेष्ठ संरचना तैयार करना।
4- आदर्श स्थल लक्ष्य की श्रेष्ठता की पूर्व प्राप्ति के लिए नवाचारी प्रक्रियाओं को अपनाने का प्रयास करना।
5- चुनावी सीमाओं के प्रभाव कार्य तथा पेशेवर निष्पादन के लिए मानव संसाधन विकसित करना।
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