अमृत महोत्सव की शुरुआत करेंगे प्रधानमंत्री मोदी
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Azadi ka Amrut Mahotsav |
12 मार्च 2021 को स्वतंत्रता दिवस के 75वें वर्ष के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जश्न के रूप में मनाने के लिए 12 March को साबरमती आश्रम से दांडी तक यात्रा को हरी झण्डी दिखायेंगे। प्रधानमंत्री इस अवसर पर आयोजित कि जा रही सांस्कृतिक और डिजिटल कार्यक्रमों का उद्घाटन करेंगे और वहाँ पर जनता को सम्बोधित भी करेंगे।
गुजरात राज्य के अहमदाबाद जिले में स्थित साबरमती आश्रम से राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी जी ने नमक सत्याग्रह की शुरुआत कर अंग्रेजों को विवश कर दिया था। उसी सत्याग्रह को आज पूरे 91 वर्ष बीत चुके हैं। इसी को उत्सव के रूप में मनाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 12 मार्च 2021 को आजादी के अमृत महोत्सव का आगाज करेंगे। भारत देश की आजादी के 75 साल पूरे होने पर 75 सप्ताह पहले से ही 12 मार्च से अमृत महोत्सव की शुरुआत की जा रही है। Salt March के नाम से प्रसिद्ध इस यात्रा का आगज आज से 91 साल पहले 12 मार्च 1930 ई को महात्मा गांधी के नेतृत्व में शुरू हुई थी। यह पूरी यात्रा गुजरात के साबरमती आश्रम से लेकर नवसारी स्थित Dandi March तक की गई थी। यह सत्याग्रह भारतीय आंदोलन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण भाग रहा है। और उसी यात्रा के आज पूरे 91 वर्ष पूरे हो चुके हैं।
इस अवसर पर देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 12 मार्च 2021 को गुजरात के अहमदाबाद जिले में गांधी आश्रम के निकट से Dandi March की यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। इस यात्रा की शुरुआत साबरमती गांधी आश्रम से की जाएगी। जो ऐतिहासिक डांडी ब्रिज से होकर गुजरेगी।
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ये यात्रा अगले महीने 6 अप्रैल 2021 को दांडी पहुंचने के साथ ही समाप्त होगी। इस दौरान भारत सरकार के कई महत्वपूर्ण मंत्री तथा बीजेपी के कई नामित नेता इस कार्यक्रम में अलग-अलग दिन हिस्सा लेंगे।
Dandi March भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का एक अभिन्न हिस्सा रहा है। इस मार्च के जरिए महात्मा गांधीजी ने अंग्रेजो के द्वारा निर्मित की गई नमक कानून का पुरजोर तरीके से विरोध किया और उसे तोड़कर उस सत्ता को चुनौती दी थी, जिसके बारे में यह कहा जाता था कि उस साम्राज्य का सूर्य कभी अंत नहीं होता था।
आपको यह भी बता दें कि इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भी अपनी यात्रा निकाल रही है। गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष ने मीडिया को बताया है कि कांग्रेसी इस यात्रा को दोपहर के बाद से शुरू करेगी, जो कि फिलहाल किसानों के लिए बनाए गए कानून के खिलाफ सरकार के सामने लड़ाई के तौर पर पेश की जाएगी।
आपको यह भी बता दें कि केंद्र सरकार साबरमती आश्रम को एक सुंदर परिसर के रूप में भी विकसित करने की योजना बना रही है।इसके तहत आश्रम के आसपास स्थित कॉलोनियों को 300 करोड़ रुपए की लागत से दूसरी जगह पर स्थापित किया जाएगा। यहां पर अंतरराष्ट्रीय उत्तर का एक गांधी आश्रम परिसर बनाने की भी तैयारी की जा रही है।
385 किलोमीटर की होगी यह पूरी यात्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रवाना की जाने वाली यह यात्रा अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से होते हुए नवसारी की दांडी नामक स्थान तक 388 किलोमीटर की दूरी तय है की करेगी। यह यात्रा 12 मार्च से शुरू होकर, 5 अप्रैल को समाप्त हो जायेगी। इस पूरी यात्रा का समय 25 दिन निर्धारित किया गया है। इस पैदल यात्रा में कई समूह के लोग शामिल होंगे। इस यात्रा के पहले 75 किलोमीटर की दूरी का नेतृत्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल करेंगे।
इतिहास की जानकारी
5 March 1930 को महात्मा गांधी जी ने साबरमती आश्रम के वासियों से यह कह दिया कि 12 मार्च 1930 ईस्वी को सुबह 6:30 बजे वह दांडी तक की यात्रा निकालेंगे और हर हाल में इस यात्रा को 5 अप्रैल से पहले पूरा करना होगा, ताकि 6 अप्रैल की सुबह नमक कानून को तोड़ा जा सके।
गांधी जी ने कहा ईश्वर पर विश्वास और प्रत्येक व्यक्ति को अपने साथ गीता और कुरान की एक-एक प्रति रखनी होगी। इस मार्च में सिर्फ पुरुष होंगे, औरतें और बच्चे नहीं होंगे। यह पूर्णरूपेण पैदल मार्च होनी थी।
गांधी जी की तबीयत खराब होने की स्थिति में उनकी सवारी हेतु घोड़ा रखने की व्यवस्था की गई थी, हालांकि इस पूरी यात्रा के दौरान उन्होंने उसका उपयोग नहीं किया। गांधीजी ने इस प्रतिज्ञा का मसौदा स्वयं बनाया, जो सत्याग्रह में भाग लेने वाले हर स्वयंसेवक को लेनी थी।
5 महत्वपूर्ण प्रतिज्ञा पत्र
1- मैं भारत की स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा आरंभ अवज्ञा आंदोलन में भाग लेना चाहता हूं।
2- मैं राष्ट्रीय कांग्रेस के सिद्धांतों से सहमत हूं कि भारत वासियों को पूर्ण स्वराज मिलना चाहिए। इसके लिए हम वैध और शांत तरीके अपनाएंगे।
3- इस आंदोलन के दौरान मैं जेल जाने और जो भी दुख और सजा मिले, उसे झेलने के लिए तैयार हूं।
4- यदि मुझे जेल भेज दिया गया, तो मैं अपने परिवार के लिए कांग्रेसी फंड से धन की सहायता नहीं लूंगा।
5- मैं आंदोलन के नेताओं का आदेश मानूंगा।
Dandi March में गांधी जी सहित कुल 78 लोगों का चयन किया गया जिसमें से 31 गुजरात से, 13 महाराष्ट्र से, 8 लोग उत्तर प्रदेश से आने थे। नेपाल से महावीर और सिंधु क्षेत्र से आनंद हिंगोरानी ने भाग लिया था। इस मार्च में दो मुसलमान तथा एक ईसाई(वेब मिलर) भी शामिल हुए।
सुभाष चंद्र बोस जी ने इस यात्रा की तुलना नेपोलियन की ऐल्बा से पेरिस के लिए की थी। 24 दिन की यात्रा के बाद 5 अप्रैल को गांधी जी Dandi पहुंचे। इसी दिन अमेरिका को भेजे गए एक संदेश में गांधी जी ने लिखा कि, ” हमें विश्व की सहानुभूति चाहिए। हमारी लड़ाई शक्ति के विरुद्ध न्याय की लड़ाई है। ” 6 अप्रैल 1930 ईस्वी को सुबह अपनी प्रार्थना के बाद समुद्र के किनारे जाकर एक मुट्ठी में नमक उठाकर उन्होंने नमक कानून को तोड़ा। और इसी के साथ ही सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ हो गया।
6 April का ही दिन क्यूँ चुना गया
नमक कानून को तोड़ने के लिए 6 अप्रैल का दिन पहले से ही तय था, क्योंकि 11 साल पहले भी इसी दिन पूरे भारत में रोलेट एक्ट के विरुद्ध एक ऐतिहासिक हड़ताल का आयोजन किया गया था। तभी से प्रत्येक वर्ष 6 से 13 अप्रैल तक का सप्ताह 1919 ईस्वी में पंजाब में लगाए गए मार्शल ला एवं जलियांवाला बाग हत्याकांड की मर्मातक घटना की याद में राष्ट्रीय सप्ताह के रूप में मनाया जाता था।
1930 ईस्वी को उसी 6 अप्रैल के दिन गांधी जी ने नमक कानून तोड़कर इसे फिर से ऐतिहासिक दिन बना दिया। यह दिन हिंदुस्तान में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।