केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि पिछले कुछ दिनों में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है उसका प्रमुख कारण निजामुद्दीन मरकज़ की घटना रही है। दक्षिण पूर्वी दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात में 15 मार्च को हुए आयोजन में हिस्सा लेने वालों में कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले सोमवार और मंगलवार को सामने आए हैं और वहीं इसमें शामिल होने वाले 10 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है और संक्रमित लोगों की संख्या 400 से ज्यादा हो गई है। कहा जा रहा है कि इस जमात में शामिल होने के लिए लगभग 16 देशों से लोग 13 मार्च से 16 मार्च तक यहाँ पर आये थे जिनकी संख्या लगभग 281 है और देश के 20 राज्यों से लगभग 1549 लोग शामिल हुए थे। और उसके बाद ये अपने अपने राज्यों में वापस लौट गए इसी जमात में शामिल किसी व्यक्ति को पहल से ही कोरोना था और उसने इस जमात में शामिल अन्य लोगों को भी इससे संक्रमित कर दिया और उसके बाद इन लोगों ने अन्य लोगों को संक्रमित किया जिसके बाद भारत में इस वायरस की चपेट में आने वाले मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ और इसमें वृद्धि होती ही जा रही है सभी राज्य सरकारों को आदेश दिया गया है कि इस जमात में शामिल प्रत्येक व्यक्ति को जल्द से जल्द ट्रेस किया जाये और उनकी जांच की जाये और उन्हें क्वारंटीन किया जाये अब तक इससे संबंधित 9000 से भी ज्यादा लोगों को क्वारंटीन किया जा चुका है और अन्य लोगों की तलाश जारी है।
तबलीगी जमात: लापरवाही की हद
आखिर इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हो गई कौन है जिम्मेदार इसका या यूँ कहें कि क्या किसी को इस लापरवाह की भनक नहीं थी या इसको तव्वजो नहीं दी गई कि इससे कितना बड़ा नुकसान देश को उठाना पड़ सकता है। कौन जिम्मेदार है इसका?
गृह मंत्रालय ने 21 मार्च को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक चीट्ठी लिखी जिसमें यह कहा गया कि विदेश से आये हुए प्रत्येक विदेशी नागरिकों की जो इस जमात में शामिल हुए थे उनके संक्रमण की जांच की जाये और फिर उनको क्वारंटीन कर दिया जाये या हो सके तो उनको वापस भेजा दिया जाये। इसलिए राज्य सरकारें बतायें कि उन्होंने इसको लिए क्या कदम उठाये थे। 28 मार्च को भी गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशो को पत्र के माध्यम से यह बताया था कि बांग्लादेश, मलेशिया, थाइलैंड इत्यादि देशों से लगभग 2000 से ज्यादा लोग इसमें शामिल होने के लिए आये थे उसमें यह भी कहा गया था कि ये लोग कोरोना के वाहक हो सकते हैं इनकी जांच की जाये, वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि 1 जनवरी 2020 के बाद से 2100 विदेशी नागरिक भारत इस जमात में शामिल होने के लिए आये जिनमें से 824 जमात के बाद देश के विभिन्न भागों में चले गए थे और 216 मरकज़ में ही रह गये थे, जिनमें से कई कोरोना वायरस से संक्रमित हैं।
दिल्ली सरकार ने भी 13 मार्च से ही सभी भीड़ भाड़ वाली जगहों पर लोगों को जाने से मना कर दिया था और सार्वजनिक स्थानों को बंद कर दिया था लेकिन फिर भी ये जमात चलती रही इसलिए इसमें दिल्ली सरकार की भी लापरवाही देखी जा सकती है कि मनाही के बाद भी ये आयोजन उनकी ऑखों के सामने कैसे होते रहे वहीं गृह मंत्रालय भी इसके लिए जिम्मेदार है क्योंकि पुलिस उसके अंदर है तो पुलिस से छूप कर कैसे इतना बड़ा आयोजन होने दिया गया। और सबसे बड़ी लापरवाह तो इस जमात के आयोजक मौलाना साद की है जब उसको मालूम था कि कोई भी सामूहिक आयोजन दिल्ली में 13 मार्च से ही बंद थे तो उसने इतना बड़ा आयोजन क्यूँ किया गया और इसमें सबसे बड़ी लापरवाही तो मौलाना के द्वारा की गई।
इसलिए यह कहा जा सकता है कि इस आयोजन में सभी समान रूप से जिम्मेदार हैं चाहे वो गृह मंत्रालय, स्वास्थ्य विभाग, दिल्ली सरकार, राज्य सरकारें सभी की जवाबदेही बनती है कि आखिर ऐसा क्यूँ होने दिया गया।
स्वास्थ्य मंत्रालय को यह भी अंदेशा है कि भारत में इस वायरस की शुरुआत ही यहीं से हुई है बाद में इन लोगों के साथ ही यह वायरस देश के अन्य भागों में पहुँचा और कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि दक्षिण पूर्वी एशिया में इस वायरस में फैलाव मलेशिया में हुई मरकज़ के कारण ही हुआ है जहाँ से यह सभी दक्षिण पूर्वी एशिया के देशों में फैल गया है। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि भारत सरकार उन करीब तीन सौ विदेशी नागरिकों को प्रतिबंधित कर सकती है, जो पर्यटन वीजा पर आने के बावजूद दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए थे। और मौलाना साद व अन्य लोगों पर सरकारी निर्देशों के उल्लंघन के लिए महामारी रोग अधिनियम 1897 के सेक्शन 269, 270, 271 और आईपीसी की धारा 120 -बी के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।
मेरा मानना है कि अगर इसी तरह लोगों ने लापरवाह बरती तो आने वाले समय में यहाँ पर भी मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हो सकता है कई विदेशी संगठनों का मानना है कि अगर भारत की जनता ने लॉक डाउन का सही से पालन नहीं किया तो यहाँ पर लोगों के मरने की संख्या विश्व में सबसे अधिक हो सकती है। वहीं सरकार को भी अब चाहिए की सख्ती से काम लें और उन लोगों पर सख्त कार्यवाही करे जो इसका उल्लघंन करते हैं।