लॉक डाउन समस्या या समाधान

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संदर्भ:-

          इस समय कोरोना का असर पूरे विश्व में है, जिसे पूरा विश्व अपने पैमाने पर रोकने में लगा हुआ है, फिलहाल कोई भी दवा न होने के कारण इससे बचने का केवल एक ही उपाय है जिसको लॉक डाउन कहा जा रहा है, कोरोना से प्रभावित विश्व के लगभग सभी देशों ने अपने यहाँ कुछ महीनों का पूर्ण या आंशिक लॉक डाउन लागू किया है जिसमें अमेरिका, चीन, इटली, स्पेन, इरान इत्यादि देश शामिल हैं। भारत में भी कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ ही हमारे प्रधानमंत्री ने भी देश वासियों की सुरक्षा के लिए 21 दिनों का लॉक डाउन घोषित किया है। जिसके बाद से ही लॉक डाउन चर्चा का विषय बना हुआ है, लोग यह जानना चाहते हैं कि लॉक डाउन क्या होता है? क्योंकि इसके माध्यम से ही लोगों को घरों में रहने की हिदायत दी जा रही है, क्या इसका उल्लंघन करने पर दण्ड का भी प्रावधान है?, लॉक डाउन और कर्फ्यू में क्या अंतर है इन्हीं चीजों को इसमें मैंने समझाने का प्रयास किया है। 

पृष्ठभूमि:-

             सर्वप्रथम हम यह जानेंगे की लॉक डाउन करने का कारण क्या है? पूरे विश्व में लॉक डाउन को लागू करने का इस समय एक ही कारण है कोरोना वायरस को बड़े पैमाने पर फैलने से रोकना ताकि यह कम से कम लोगों को प्रभावित कर सके। अब हम सोचते होंगे की कोरोना वायरस फैलता कैसे है। मुख्यतः यह चार चरणों में फैलता है.. 

1-पहली अवस्था में कोई भी व्यक्ति जब इस वायरस के उद्गम स्थल पर होता है तो यह उसको अपनी चपेट में ले लेता है, 

2-दूसरी अवस्था में जब वह संक्रमित व्यक्ति अपने परिजनों से मिलता है तो उससे वह पूरे परिवार के सदस्यों तक पहुँच जाता है जिसे हम लोकल ट्रांसमिशन कहते हैं, 

3-तीसरी अवस्था में यह वायरस इन्हीं संक्रमित लोगों के माध्यम से पूरे समुदाय में फैलने लगता है, जिससे समाज के हर एक व्यक्ति तक यह अपनी पहुँच बनाता है, और यह अवस्था ही सबसे घातक होती है इसमें वायरस तेजी से फैलता है और इसे सामुदायिक ट्रांसमिशन कहा जाता है, 

4- चौथी और अंतिम अवस्था में उपयुक्त तीनों अवस्था में संक्रमित व्यक्तियों की मौत बहुत ही बड़े पैमाने पर होती है इस समय चीन, इटली, स्पेन, अमेरिका, इरान इत्यादि देशों में यह वायरस इसी अवस्था में है। 

                 उपर्युक्त में से चूंकि भारत में भी ऊपर की दो अवस्थायें हो चुकी हैं, यह वायरस अपनी तीसरी अवस्था में न पहुंचे इसी को देखते हुए केन्द्र सरकार द्वारा 21 दिनों का लॉक डाउन घोषित किया है। जिसमें प्रधानमंत्री के द्वारा यह नारा दिया गया कि

क्या होता है लॉक डाउन:-

                                    लॉक डाउन एक प्रशासनिक आदेश होता है।  जिसे पहली बार अमेरिका में 09/11 आतंकी हमले में पहली बार तीन दिनों के लिए प्रयोग किया गया था। भारत में भी इसे एपिडेमिक डिजीज एक्ट, 1897 के तहत लागू किया गया है। भारत में यह एक्ट ब्रिटिश कॉल के दौरान मुम्बई में इसे बुबोनिक प्लेग प्लेग से निपटने के लिए इस एक्ट को लागू किया गया था। यह अधिनियम सम्पूर्ण भारत में लागू है। इस अधिनियम का इस्तेमाल किसी भी गम्भीर समस्या को रोकने के लिए किया जाता है ताकि इससे देश के नागरिकों को कोई खतरा न हो। लॉक डाउन के दौरान पूरे देश में जरूरी सेवाओं को छोड़ कर बाकी सारी सेवाएं जैसे- दुकानें, स्कूल, कॉलेज, कार्यालय, फैक्टरीयां इत्यादि को बंद कर दिया जाता है, और जहाँ तकक सम्भव हो सके कर्मचारियों को घर से ही कार्य करने की हिदायत दी जाती है। 


लॉक डाउन से उत्पन्न हो रही समस्यायें:-


                                                     जहाँ लॉक डाउन से लोगों में रहने को मजबूर हैं वहीं इससे कई समस्याएं भी उत्पन्न हो रही हैं, इस दौरान जमाखोरों के द्वारा जरूरी वस्तुओं की जमाखोरी से जरूरी चीजों के दमा बढ़ गये हैं, जिसमें इस वायरस से बचने के लिए उपयोगी मॉस्को और सैनेटाइजर भी शामिल है,

वहीं लॉक डाउन को देखते हुए लोगों के द्वारा आवश्यकता से अधिक खाद्य सामग्री की खरीद की वजह से अन्य लोगों को खाद्य सामग्री नहीं मिल पा रही हैं, जिसका फायदा बिचौलिए कीमतों को बढ़ा कर ले रहे हैं, 
वहीं दूसरी ओर महानगरों में रहने वाले दिहाड़ी मजदूरों कि स्थिति बहुत ज्यादा खराब है उनक

 काम न मिलने के कारण वे अपना पेट भी नहीं भर पा रहे हैं इसलिए वो अपने गावों की तरफ पलायन कर रहें हैं चूंकि सरकार के द्वारा बसों, ट्रेनों को भी बंद कर दिया गया है इसलिए लोग पैदल ही अपने गावों की तरफ और चल पड़े हैं जिससे इस वायरस के गाँव में भी फैलने का खतरा बढ़ गया है। 

जहाँ इससे उपर्युक्त समस्यायें तो हो ही रही है वहीं इससे पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था कि स्थिति भी खराब हालत में है जिसकी चपेट में भारत भी है। 

सरकार द्वारा किये जा रहे उपाय:-

                                           लॉक के दौरान केन्द्र सरकार के द्वारा कुछ नहीं जरूरी वस्तुओं को “आवश्यक वस्तु अधिनियमों” 1955 के तहत रखा है जिससे इन वस्तुओं की जमाखोरी न हो सके और अगर कोई करे तो उसको दण्ड दिया जाय। 

वहीं केंद्र सरकार के द्वारा प्रत्येक जनधन खातो में दो हजार रूपये भेजने का ऐलान, वहीं प्रत्येक नागरिक को पांच किलो चावल व एक किलो दाल, व बीपीएल परिवार के आठ करोड़ लोगों को तीन महीने तक मुफ्त गैस सिलेंडर देने की घोषणा की गई है वहीं दो महीनों के लिए सभी डॉक्टरों, नर्सों व स्वास्थ्य विभाग के प्रत्येक कर्मचारियों को 50 लाख तक का बीमा भी दिया गया है। 

वहीं राज्य सरकारों ने अपने यहाँ कई घोषणाएं की गई है ं यूपी सरकार द्वारा बीपीएल परिवार के लोगों को 6 माह का राशन उपलब्ध कराने का आदेश दिया है साथ ही प्रत्येक मजदूर को प्रतिमाह 1000 रूपये देने का निर्देश दिया है, इसी प्रकार सारे राज्य अपने यहाँ अपने राज्य के लोगों को सुविधायें मुहैया करा रहे हैं। 

इसके अलावा सरकार ने विदेश यात्रा से वापस आये हुए सभी लोगों को अपने घरों में ही  14 दिनों के लिए कोरेन्टाइन रहने को कहा है ताकि इसको फैलने से रोका जा सके। 

लॉक डाउन और कर्फ्यू में अंतर:-

                                           लॉक डाउन एक प्रशासनिक आदेश होता है, जिसे एपिडेमिक डिजीज एक्ट, 1897 के तहत लागू किया जाता है  वहीं भारतीय दण्ड संहिता की धारी 144 के तहत कर्फ्यू किसी एक निश्चित स्थान पर जिला मजिस्ट्रेट एक विज्ञप्ति जारी करके लगा सकता है। 

सामान्यतः लॉक डाउन के उल्लंघन पर किसी भी प्रकार के दण्ड का प्रावधान नहीं है, परंतु कर्फ्यू के दौरान धारा 144 के उल्लंघन अगर कोई करता है तो उसे धारा 188 के तहत उसे 6 मास की सजा या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है, हांलाकि कुछ राज्यों द्वारा लॉक डाउन के उल्लंघन को भी अपराध माना है और उसके लिए दण्ड का प्रावधान किया है जैसे यूपी सरकार द्वारा इसके उल्लंघन पर 6 मास के दण्ड का प्रावधान किया है। 

निष्कर्ष:- इन सब परिस्थिति को देखा जाये तो लॉक डाउन को हम सही हीं कहेंगे क्योंकि सरकार ने इसे देश का जनता को इस व्यापक महामारी से बचाने के लिए ही लगाया है क्योंकि फिलहाल इस बीमारी का कोई इलाज न होने के कारण मेरे विचार से ये एक सही कदम कहा जा सकता है। 




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